Sunday, November 6, 2011

जी हाँ -मै वही नारी हूँ.




मै जिन्दा होते हुए भी,
एक मुरदे की तरह हूँ.
मै हरी-भरी होकर भी,
कैक्टस की तरह हूँ.
मै भावुक होते हुए भी,
ईट-गारे की तरह हूँ.
मै ज्ञानी होते हुए भी,
किताब की तरह हूँ।

मै वो सबकुछ हू ,
जो मुझे होना चाहिए.
मुझमे वो सब गुण है,
जो मुझ जैसो में होना चाहिए.
पर ये होना भी,
न होने के बराबर है,
क्योकि इतना सबकुछ होते हुए भी,
मै एक "टाइपराइटर" की तरह हूँ.
जिसका प्रयोग हर कोई अपने ढंग कब,
कर लेना चाहता है.
आप ऐसा सोच रहे है..
ऐसा मेरे ही साथ क्यों?
क्योकि मै एक नारी हूँ.
जी हाँ - इस सृष्टी का,
सृजन का करने वाली नारी हूँ.
जिसे लोभी समाज ने,
माँ-देवी का आसन तो दिया.
पर स्वयं बागडोर लेकर ,
जालसाजी से शासन किया.
जी हाँ -मै वही नारी हूँ
पर आज अपनों से ही बेबस,
लाचार और किस्मत की मारी हूँ.
जी हाँ -मै वही नारी हूँ.
जी हाँ -मै वही नारी हूँ.




-Nandini g[10/06/99]